Pramila singh

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लेखनी प्रतियोगिता -15-Jul-2023 अपवित्रता का दाग दैनिक प्रतियोगिता

दैनिक प्रतियोगिता - अपवित्रता का दाग़


सुनो बहनों !  सुनो मेरे भाइयों l
राम सिया की कथा हम आज सुनाते ll

है ये अमर कहानी ,
युग बीते आज भी नहीं पुरानी l
अयोध्या के राम थे राजा ,
सिया उनकी प्यारी रानी l

माता कैकई ने वचन लिए मांग ,
राजा दशरथ शोक से हुए निढाल l
पिता का वचन राम जी चले ,
वामांगी भ्राता संग निभाने l

वन वन भटके कष्ट उठाते ,
सीता थी पतीव्रता नारी l
जंगल के कष्ट सहे ,
महलों की पटरानी l

कष्ट में कष्ट और घिर आया ,
छल से रावण सिया हर लाया l
राम जी डूबे दुःख सागर में तब ,
हनुमान जी ने माता का पता लगाया l

विभिषण का समझाना काम ना आया ,
रावण अहंकार में सच देख ना पाया l
हुआ फिर युद्ध भयंकर ,
वानर असुर लड़े जम जमकर l

सिया जी ने दी फिर अग्नि परीक्षा ,
फिर भी दाग अपवित्रता का धुल नहीं पाया l
अयोध्यावासियों ने लांछन लगाया ,
नाजुक़ सिया मन सह नहीं पाया l

छोड़ गई वो नगरी अयोध्या ,
मायके ससुराल का मान बचाया l
राजा की बेटी राजा की पत्नी ,
कष्ट और दुःख ने ऐसी घेरी l

जीवन बन गया दुःख की गाथा ,
दाग अपवित्रता का मिट नहीं पाया l
जब सीता सी नारी पर ,
ये समाज उंगली उठाते नहीं शर्माया l

आज की औरत का क्या होगा ?
क्या दामन बच पाएगा उसका l
जब राम जी सिया का साथ नहीं दे पाए ,
कौन साथ देगा उसका ?

जोत जो है हम सब के अंदर ,
वही रक्षक होगी केवल तब l
विश्वास नारी को खुद पर करना होगा ,
तभी आंचल उसका सुरक्षित होगा l

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8 Comments

उत्कृष्ट सृजन

Reply

Abhinav ji

16-Jul-2023 09:29 AM

Very nice 👍

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Gunjan Kamal

16-Jul-2023 12:58 AM

👌👏

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